देवी दुर्गा के नौ स्वरूप और उनका महत्व | देवी पूजा विधि एवं मंत्र
हिन्दू धर्म में देवी दुर्गा शक्ति और साहस की प्रतीक मानी जाती हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा का विशेष महत्व है। हर स्वरूप के अपने अलग गुण, महत्व और पूजा विधि होती है। इस ब्लॉग में हम देवी दुर्गा के नौ स्वरूप, उनका महत्व, पूजन विधि और प्रत्येक स्वरूप से जुड़े मंत्रों की जानकारी देंगे।
माता शैलपुत्री
देवी दुर्गा का पहला स्वरूप माता शैलपुत्री हैं। यह पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं।
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महत्व: शक्ति, स्थिरता और जीवन की शुरुआत।
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पूजा विधि: नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की तस्वीर/मूर्ति को स्थापित कर गंगाजल से शुद्ध करें, लाल फूल, धूप, दीपक अर्पित करें।
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मंत्र:
“ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः”
माता ब्रह्मचारिणी
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महत्व: तप, संयम और भक्ति की शक्ति।
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पूजा विधि: सफेद वस्त्र पहनकर सफेद पुष्प और अक्षत अर्पित करें। मिश्री या गुड़ का भोग लगाएँ।
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मंत्र:
“ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः”
माता चंद्रघंटा
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महत्व: साहस, आत्मविश्वास और शांति।
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पूजा विधि: घी का दीपक जलाएँ, लाल पुष्प और चंदन अर्पित करें।
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मंत्र:
“ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः”
माता कूष्माण्डा
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महत्व: सृजन शक्ति और स्वास्थ्य।
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पूजा विधि: माता को मालपुआ या हलवा का भोग लगाएँ। हरे रंग के वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है।
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मंत्र:
“ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः”
माता स्कंदमाता
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महत्व: मातृत्व, करुणा और सुरक्षा।
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पूजा विधि: माता को केले का भोग अर्पित करें, पीले फूल और धूप अर्पित करें।
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मंत्र:
“ॐ देवी स्कंदमातायै नमः”
माता कात्यायनी
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महत्व: विवाह योग और साहस।
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पूजा विधि: लाल रंग के वस्त्र पहनकर माता को शहद का भोग अर्पित करें।
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मंत्र:
“ॐ देवी कात्यायन्यै नमः”
माता कालरात्रि
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महत्व: भय और नकारात्मक शक्तियों का नाश।
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पूजा विधि: रात्री में माता की पूजा करें, काले तिल और गुड़ का भोग लगाएँ।
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मंत्र:
“ॐ देवी कालरात्र्यै नमः”
माता महागौरी
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महत्व: पवित्रता, शांति और सौंदर्य।
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पूजा विधि: सफेद पुष्प और मिठाई का भोग अर्पित करें।
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मंत्र:
“ॐ देवी महागौर्यै नमः”
माता सिद्धिदात्री
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महत्व: सिद्धि, ज्ञान और पूर्णता।
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पूजा विधि: माता को कमल पुष्प और धूप अर्पित करें, नौ फल या अनाज का भोग लगाएँ।
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मंत्र:
“ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः”
नवरात्रि में देवी दुर्गा पूजा की सामान्य विधि
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सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध करें।
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कलश स्थापना करें – इसमें जल, सुपारी, आम के पत्ते, नारियल रखें।
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देवी दुर्गा की मूर्ति/चित्र को साफ कपड़े में स्थापित करें।
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दीपक जलाएँ, धूप, चंदन और अक्षत अर्पित करें।
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प्रत्येक दिन के अनुसार देवी के अलग स्वरूप का ध्यान कर उनका मंत्र जपें।
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भोग और प्रसाद अर्पित कर अंत में आरती करें।
निष्कर्ष
देवी दुर्गा के नौ स्वरूप केवल नवरात्रि तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे हमारे जीवन में शक्ति, ज्ञान, संयम, साहस और पवित्रता के प्रतीक हैं। उचित विधि और मंत्र से पूजन करने पर श्रद्धालु को जीवन में सकारात्मकता और सफलता प्राप्त होती है।

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