डायबिटीज में क्या न खाएं – जानिए आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से

डायबिटीज क्या है?

डायबिटीज एक मेटाबोलिक डिसऑर्डर है जिसमें शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता या उसका सही उपयोग नहीं कर पाता। इसके परिणामस्वरूप खून में ग्लूकोज की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है। अगर इसे समय रहते नियंत्रित किया जाए, तो यह आंख, किडनी, हृदय और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है।


आयुर्वेद
डायबिटीज को कैसे देखता है?

आयुर्वेद में डायबिटीज को 'मधुमेह' कहा गया है। यह 20 प्रकार के प्रमेह में से एक है, जिसमें शरीर में 'कफ दोष' और 'मेद धातु' की अधिकता देखी जाती है। आयुर्वेद के अनुसार, मधुमेह का मुख्य कारण असंतुलित आहार, अनियमित जीवनशैली और मानसिक तनाव होता है।


डायबिटीज में क्या खाएंआयुर्वेदिक निषेध सूची

1 मीठे और शक्कर युक्त पदार्थ

  • सफेद चीनी, गुड़, मिठाई, शहद और मीठे पेय पदार्थ
  • आयुर्वेद के अनुसार यह 'कफवर्धक' हैं और रक्त में शर्करा को तेजी से बढ़ाते हैं।

विकल्प: स्टीविया जैसी प्राकृतिक चीनी विकल्प (Affiliate Link लगा सकते हैं)

2 मैदा और परिष्कृत आटा

  • समोसे, पेस्ट्री, ब्रेड, कुकीज आदि मैदे से बने पदार्थ
  • यह पाचन में भारी होते हैं और मधुमेह को बढ़ावा देते हैं।

विकल्प: मल्टीग्रेन आटा या जौ का आटा

3 प्रोसेस्ड और पैक्ड फूड्स

  • चिप्स, नमकीन, फास्ट फूड, रेडी टू ईट आइटम्स
  • इनमें हाई सोडियम, ट्रांस फैट और प्रिजर्वेटिव्स होते हैं जो ब्लड शुगर और बीपी दोनों को नुकसान पहुंचाते हैं।

 विकल्प: घर पर बना हुआ हल्का फूड जैसे भुने चने, अंकुरित मूंग

4फलों का रस और मीठे फल

  • पैक्ड जूस, अंगूर, आम, केला आदि हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फल
  • आयुर्वेद कहता है कि कच्चे और खट्टे फल जैसे अमरूद, सेब, जामुन उपयुक्त होते हैं।

5 दूध और डेयरी उत्पाद (अत्यधिक मात्रा में)

  • मलाईदार दूध, मिठाई वाला दूध, फ्लेवर्ड दही
  • आयुर्वेद में ऐसे खाद्य पदार्थों कोअभिष्यंदिकहा गया है जो शरीर में अवरोध पैदा करते हैं।

विकल्प: टोंड दूध या बादाम का दूध


आयुर्वेदिक उपायमधुमेह को नियंत्रित करने के लिए

1. मेथी के बीज

  • रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें।
  • ब्लड शुगर को स्थिर करने में मददगार।

2. जामुन के बीज का चूर्ण

  • 1 चम्मच गुनगुने पानी के साथ सुबह-शाम लें।

3. गुड़मार (Gymnema Sylvestre)

  • 'Sugar Destroyer' के नाम से प्रसिद्ध यह आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी इंसुलिन संवेदनशीलता को सुधारती है।

4. नीम और करेला

  • इनका रस या कैप्सूल ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करते हैं।

 लाइफस्टाइल टिप्सआयुर्वेद के अनुसार

 नियमित दिनचर्या अपनाएं (दिनचर्याः)

  • सुबह जल्दी उठें, सूर्य नमस्कार करें और दिनचर्या फिक्स रखें।

 योग और प्राणायाम

  • कपालभाति, अनुलोम-विलोम, मंडूकासनये पाचन, यकृत और अग्न्याशय को मजबूत करते हैं।

 मालिश और अभ्यंग

  • सरसों या नारियल तेल से मालिश ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

डायबिटीज सिर्फ एक बीमारी नहीं बल्कि जीवनशैली से जुड़ा विकार है जिसे नियंत्रित किया जा सकता हैसही आहार, नियमित दिनचर्या और आयुर्वेद के प्राकृतिक उपायों से।क्या खाएंजितना ज़रूरी है, “क्या खाएंउतना ही महत्वपूर्ण है।

अगर आप अपने डेली लाइफ में ऊपर बताए गए परहेजों को शामिल करते हैं और आयुर्वेदिक उपायों को अपनाते हैं, तो डायबिटीज को कंट्रोल करना संभव है।

 

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