नवरात्रि व्रत में अपनाएँ आयुर्वेदिक नियम – सेहत और शक्ति के 9 रहस्य
नवरात्रि का पर्व केवल देवी पूजा का समय नहीं है, बल्कि शरीर और मन को शुद्ध करने का अवसर भी है। व्रत को आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से देखें तो यह डिटॉक्स का प्राकृतिक तरीका है। सही नियम अपनाकर आप व्रत को सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक और स्वास्थ्यवर्धक अनुभव बना सकते हैं।
आइए जानते हैं नवरात्रि व्रत के दौरान अपनाने योग्य 9 आयुर्वेदिक रहस्य, जो आपकी सेहत, शक्ति और मानसिक संतुलन को बनाए रखेंगे।
1. हल्के और सात्त्विक भोजन का सेवन
आयुर्वेद कहता है – व्रत में भोजन हल्का, पचने योग्य और सात्त्विक होना चाहिए।
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खिचड़ी, लौकी, कुट्टू, सिंघाड़ा आटा और शकरकंद श्रेष्ठ विकल्प हैं।
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तैलीय और मसालेदार भोजन से बचें।
2. मौसमी फल और मेवे ज़रूरी
व्रत के दौरान ऊर्जा की कमी न हो, इसके लिए:
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केला, सेब, पपीता, अमरूद खाएँ।
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बादाम, अखरोट, किशमिश, मखाना जैसे मेवे शामिल करें।
ये शरीर को प्राकृतिक ग्लूकोज़ और प्रोटीन देते हैं।
3. पर्याप्त जल और हर्बल ड्रिंक
पानी की कमी थकान और सिरदर्द बढ़ा सकती है।
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नींबू पानी, नारियल पानी, तुलसी या अदरक की चाय लें।
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डिहाइड्रेशन से बचने के लिए दिनभर 8–10 गिलास पानी पिएँ।
4. तामसिक भोजन से दूरी
प्याज, लहसुन, पैकेज्ड फूड, तला-भुना और अधिक नमक वाले खाद्य पदार्थ आयुर्वेद में तामसिक माने जाते हैं।
ये मन को अशांत और शरीर को भारी बनाते हैं।
5. धीरे-धीरे खाना और अधिक न खाना
आयुर्वेद में कहा गया है – "अर्धं भोजनं स्वास्थ्यकरम्"
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प्लेट का आधा हिस्सा फल-सब्ज़ी से भरें।
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भोजन को धीरे-धीरे चबाकर खाएँ।
इससे पाचन अग्नि (Digestive Fire) संतुलित रहती है।
6. व्रत में योग और प्राणायाम
सिर्फ खान-पान ही नहीं, मन को शांत रखना भी ज़रूरी है।
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अनुलोम-विलोम, कपालभाति और भ्रामरी प्राणायाम लाभकारी हैं।
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हल्का योगासन जैसे ताड़ासन, भुजंगासन और वज्रासन करें।
7. डिटॉक्स के लिए हरी सब्ज़ियाँ
लौकी, परवल, पालक और टिंडा जैसी हरी सब्ज़ियाँ आसानी से पचती हैं और शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालती हैं।
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इन्हें उबालकर या हल्के घी में बनाकर खाएँ।
8. मानसिक शांति के लिए ध्यान और मंत्र
नवरात्रि का असली उद्देश्य केवल उपवास नहीं बल्कि मन को नियंत्रित करना है।
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रोज़ाना 10–15 मिनट ध्यान करें।
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देवी मंत्र का जप मानसिक शांति और सकारात्मकता देता है।
9. सोने-जागने की आयुर्वेदिक दिनचर्या
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जल्दी सोएँ और ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) में उठने की आदत डालें।
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पर्याप्त नींद लें, ताकि शरीर डिटॉक्स की प्रक्रिया पूरी कर सके।
नवरात्रि व्रत का विज्ञान और आयुर्वेद
आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि व्रत करने से:
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पाचन तंत्र को आराम मिलता है।
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इंसुलिन सेंसिटिविटी बेहतर होती है।
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शरीर से टॉक्सिन बाहर निकलते हैं।
आयुर्वेद और विज्ञान दोनों ही व्रत को शरीर की प्राकृतिक सफाई मानते हैं।
निष्कर्ष
नवरात्रि व्रत केवल धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि आयुर्वेदिक स्वास्थ्य नियमों का खज़ाना है। यदि आप इन 9 रहस्यों का पालन करेंगे तो शरीर, मन और आत्मा तीनों को ऊर्जा और शांति मिलेगी।
इस नवरात्रि, व्रत को सिर्फ उपवास नहीं बल्कि स्वास्थ्य का पर्व बनाएँ।

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